दुनिया की भीड़ में ... क्यों खो रहा ....
मिलेगा कुछ भी न फल ... जो बो रहा ...
तू आजा घर लौट आ ...
आ बेटे घर लौट आ ...
१. मैं ढूँढू उस भेड़ को ... जो खो गई ...
गुनाहों की जेल में ... बंद हो गई ...
तू आजा घर लौट आ ...
आ बेटे घर लौट आ ...
२. गुनाहों में था अब तलक ... तू जो धसा ...
मकड़ी के जाल में ... था जो फसा ...
तू आजा घर लौट आ ...
आ बेटे घर लौट आ ...
३. तू आँखे अब खोल कर ... सब जाँच ले ...
तू सच और झूठ को ... अब माप ले ...
तू आजा घर लौट आ ...
आ बेटे घर लौट आ ...
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