जंगली दरख्तों के दरमियान ...
एक सेब के पेड़ के समान ...
नज़र आता है मुझे ऐ मसीह ...
सारे संतों के बीच में तू ...
हम्द करूं मैं तेरी ऐ प्रभु ...
अपने जीवन भर इस जंगल के सफर में ...
गाऊँ शुक्रगुज़ारी से मैं (२)
१. तू ही है नरगिस ख़ास शारोन का ...
हाँ तू सोसन भी वादीयों का ...
संतों में तू है अति पवित्र ...
कैसे कामिल और शान से भरा ...
हम्द करूं मैं तेरी ऐ प्रभु ...
२. इत्र के समान है तेरा नाम ...
ख़ुशबू फ़ैलाता है जहाँ में ...
तंगी मुसीबत और बदनामी में ...
बना खुशबुदार तेरे समान ...
हम्द करूं मैं तेरी ऐ प्रभु ...
३. घबराहट की लहरों से गर ...
डूबूं दुःख के सागर में ...
अपने ज़ोरावर हाथ को बढ़ा ...
मुझे अपने सीने से लगा ...
हम्द करूं मैं तेरी ऐ प्रभु ...
४. अभी आ रहा हूँ मैं तेरे पास ...
पूरी करने को तेरी मर्ज़ी ...
ताकि दे दूँ मैं काम को अंजाम ...
पाऊँ तेरे दीदार में ईनाम ...
हम्द करूं मैं तेरी ऐ प्रभु ...
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