आब-ए-हयात सब को ..
पिलाता है अल मसीह ..
तृष्णा लबों की प्यास ..
बुझाता है अल मसीह ..
१. भूखे जो ज़िन्दगी की गिज़ा के हैं सेर हो ..
दान-ए-बक़ा सबों को खिलाता है .. अल मसीह ..
तृष्णा लबों की प्यास ..
बुझाता है अल मसीह ..
२. पोशाक रास्ती की ना हो जिसके जिस्म पर ..
उनको लिबास-ए-पाक़ दिलाता है .. अल मसीह ..
तृष्णा लबों की प्यास ..
बुझाता है अल मसीह ..
३. दीदार-ए-रब्बे पाक़ की गर तुमको हो तलब ..
अल हक़ ख़ुदा-ए-पाक़ दिखाता है .. अल मसीह ..
तृष्णा लबों की प्यास ..
बुझाता है अल मसीह ..
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