मैं मुज़िर तू आफ़रीन ..
मैं
चाकर तू आलबी ..
वो शाहों का शाह शहनशाह ..
जो है
इब्न-ए-खुदा जो है नूर-ए-जहाँ ..
उसके
रहमों करम की करूं इल्तजा ..
वो
शाहों का शाह शहनशाह ..
१. ज़र्रा-ज़र्रा भी उसको है करता बयान ..
चाँद तारे हैं जिसके ज़मीन आसमान ..
ये ज़िन्दगी सवारी है जिसने मेरी ..
वो रौशन सवेरा मैं शाम-ए-वीरान ..
हो सकता नहीं कोई उसकी तरह ..
वो शाहों का शाह शहनशाह ..
२. मुझे जीना सिखाया तेरे प्यार ने ..
मुझे कायम बनाया तेरे किरदार ने ..
मुद्दत से पैरों की मिट्टी था मैं ..
मुझे बर्तन बनाया है कुम्हार ने ..
गुनहगारों पे की उसने उल्फ़त अता ..
वो शाहों का शाह शहनशाह ..
३. है सामाई तेरे फ़रिश्ते सभी ..
तू रूह है कभी और है सूरत कभी ..
न कोई तरफ़ से है तुझमें कमी ..
तू मुकम्मल खुदा तू मुकम्मल नबी ..
तू ही आखिर है तू ही पहला सफ़ा ..
वो शाहों का शाह शहनशाह ..
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